अतिथि देवो भव:

रूचि समूह और नई दिशाएँ

समूह के सद्स्य वैज्ञानिक के साथ और प्रसंस्कृत उत्पाद 
कृषि विज्ञान केन्द्, रीवा के खाद्य वैज्ञानिक डॉ. चन्द्र्जीत सिंह, द्वारा प्रशिक्षित एवं डॉ. क़िंजल्क सी सिंह द्वारा प्रेरित एवं गठित दो रूचि समूहों ने जो ६० किलो आँवले की कैन्डी बनाई थी उसका विपणन, सफलता पूर्वक कृषक मेले एवं व्यक्तिगत सम्पर्क द्वारा किया जा रहा है. इन समूहों का पंजीयन खादी ग्रामोद्योग में कराया जा चुका है और एगमार्क प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी है
इसे गति प्रदान करने के लिये कृषि विज्ञान केन्द्, रीवा ने नई योजना तैयार की, जिसके तहत दिनाँक 15 जुलाई, 2009 को केन्द्र के सभा कक्ष मे सम्पन्न ऑडिटर मीटिंग में स्टॉल लगा कर लगभग रु. 800/- मूल्य का उत्पाद बेचा.

इसी तरह, दिनाँक 16 जुलाई, 2009 को कृषि महाविद्यालय, रीवा में सम्पन्न ग्राम विकास में संलग्न विभिन्न विभागों की सम्भागीय बैठक में रु. 260/- की कैंडी का विक्रय किया साथ ही साथ में अचार का ऑर्डेर भी प्राप्त किया. आज ही महिलाओं ने, 500 ग्राम सोया पनीर भी सप्लाई किया.

केन्द्र पर ही आयोजित ऑन कैम्पस प्रशिक्षण के दौरान भी समूह की महिलाओं ने रु. 180/- की कैंडी और आँवला का विक्रय किया.

क़ेन्द्र पर स्टॉल द्वारा विक्रय का यह एक अभिनव प्रयास है जो कि कृषि महविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आर. पी. सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा की कार्यक्रम समन्वयक डॉ निर्मला सिंह के सहयोग से ही सम्भव हो पाया.
दिनाँक 14 से 16 जून, 2009 को आयोकित राज्य स्तरीय कृषि मेले में दो समूहों की सदस्यों ने मिलकर आँवला कैंडी, आवँला सुपारी, आलू एवं चावल के पापड़, मुँहफली एवं गुड़ के लड्डू सोया फ्लेवर्ड दूध, सोया मैंगो शेक इत्यादी बेच कर रु. 2200/- कमाये.

रीवा शहर के सबसे आधुनिक बाज़ार शिल्पी प्लाज़ा की सबसे बड़ी दुकानों, लीलाराम और इन्दौर सेव भन्डार के काऊंटर से भी इन समूहों की सामग्री, सफलतापूर्वक बिक रही है। 
एक रोचक प्रयोग के तहत गर्मी के मौसम में शहर के प्रमुख, कनौडिया पेट्रोल पम्प से सोया मैंगो शेक, सोया लस्सी, सोया फ्लवर्ड दूध भी महिलाओं ने विक्रय किया। 
विद्वानों ने सही कहा है जहां चाह वहाँ राह.