सिलाई प्रशिक्षण के प्रतिभागी |
कृषि विज्ञान केन्द्र-रीवा ने इस गाँव की अवश्याकता पहचानी और कार्ययोअजना बना कर
केन्द्र पर महिलाओं हेतु सिलाई कढ़ाई विषय पर पन्द्रह दिवसीय स्वरोज़गार उन्मूलक
प्रशिक्षण आयोजित किया जिसमें बीच में ही पढ़ाई छोड़ी हुयी महिलाओं ने पक्के इरादे
के साथ बढ़ चढ़ कर भाग लिया और फिर सिलाई को
रोज़गार के रूप में अपनाया. .
एक ओर जहाँ दो वर्ष से भी कम अवधि में ही इन महिलाओं ने लगभग
1 लाख रुपये कमाये. वहीं दूसरी ओर इस समूह की दो प्रशिक्षणार्थीओं ने स्वयं का
सिलाई स्कूल प्रारम्भ किया है.
ज्योति ने पड़रा में ही अपना बुटीक सफलता
पूर्वक चलाया और अब उसका विवाह हो चुका है और वह ससुराल में भी अपना व्यवसाय सफलता
पूर्वक चला रही है.
ब्यूटी पार्लर भी ग्रामीण महिलाऑं के बीच एक
अच्छी आजीविका अर्जम का साधन सिद्ध हुआ है. कुछ बहने इस ओर प्रेरित थीं किंतु धन
के अभाव में वे प्रशिक्षण नहीं ले पा रही थीं.
इन महिलाओं ने कृषि विज्ञान क़ेन्द्र से
सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त कर रोज़गार प्राम्भ किया तथा पैसे कमा कर ब्यूटी पार्लर का
प्रशिक्षण प्राप्त किया. अब इन में से एक, गायत्री अपना निजी ब्योटी पार्लर सफलता
पूर्वक चला रही है.
प्रभा गर्व से कहती हैं की पहले छोटी छोटी
ज़रूरतों के लिये भी माता पिता से आर्थिक मदद लेनी पड़ती थी किंतु अब मैं खुद पैसे
कमा कर अपनी ज़रूरर्तों को पूरा करने की कोशिश करती हूँ और कभी कभी माता पिता के
लिये भी कुछ खरीदती हूँ.
गायत्री कृषि विज्ञान केन्द्र-रीवा का
धन्यवाद देती हुई कहती हैं कि मैं स्वावलम्बन के लिये ईश्वर की कृपा, माता पिता का
आशिर्वाद और केन्द्र के सहयोग को ही ज़िम्मेदार मानती हूँ.
No comments:
Post a Comment