अतिथि देवो भव:

लाभ का सौदा प्याज़ की खेती


प्याज़ की नर्सरी में प्रशिक्षणार्थी 

ज़िला मुख्यालय से 14 किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम खजुहा के लघु कृषक श्री रमेश पटेल अपने जीवन में आई नयी खुश्हाली का श्रेय प्याज़ की लाभकारी एवं वैज्ञानिक खेती को देते हैं. जो पहले अपने परिवार के गुज़र बसर के लिये खाद्यान्न, दलहन, तिल्हन, की खेती के साथ कुछ साग सब्ज़ियों का भी उत्पादन कर रहे थे, सितम्बर 2008 में केन्द्र के वैज्ञानिकों ने सब्ज़ी उत्पादन में उनकी रुचि के दृष्टिगत प्याज़ की लाभकारी एवं वैज्ञानिक तक्नीकी जानकारी प्रदान की. पूर्व में, श्री रमेश पटेल द्वारा आधे एकड़ खेत में रबी में प्याज़ की एन-53 तथा दुकानदारों से प्राप्त अन्य उपलब्ध किस्म के बीजों की बुवाई कर परम्परागत ढंग से खेती कर रहे थे. जिससे औसत 20 से 25 क्विंटल उपज एवं 5 से 6 हज़ार रुपये की शुद्ध आमदनी मिल जाती थी.
श्री पटेल प्रसन्नता व्यक्त करते हुये बताते हैं कि सबसे पहले कृषि विज्ञान केन्द्र की अनुशंसा पर उन्होंने ज़मीन की सतह से 2 इंच ऊँची रोपणी, 1 भाग रेत + 1 भाग केंचुआ खाद मिलाकर तैयार की. फिर रोपणी को मोटी पन्नी से ढक कर सूर्य की तेज़ रौशनी लगने दी. जिससे रोपणी में उपस्थित रोग और कीट नष्ट हो गये. प्रति एकड़ हेतु, उन्नत किस्म एग्रीफाउंड लाईट रेड के 2.5 किलो बीज को बैविस्टीन नामक दवा से उपचारित कर रोपणी डाली. फफूंद से बचाव हेतु इन्डोफिल -78 नामक दवा की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर अंकुरण पश्चात छिड़काव किया. तत्पश्चात पौध की 6 सप्ताह आयु पर उसे मुख्य खेत में रोपित किया. प्याज़ की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये कटाई के 20 से 25 दिनों पहले सिंचाई बन्द कर दी. इससे उन्हें प्रति एकड़ 108 क्विंटल उपज प्राप्त हुई जिसमें लगभग रु. 8000/- का खर्च आया.
इस विधि से रबी  में प्याज़ की खेती करने पर उन्हें प्रति एकड़ कुल आय रु. 64000/-  एवं रु. 56000 की शुद्ध आमदनी प्राप्त हुई. श्री रमेश पटेल प्रसन्नतापूर्वक बताते हैं के प्याज़ की वैज्ञानिक व लाभकारी खेती ने उनकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है. तथा उनके ही गाँव के पाँच अन्य किसानों ने प्रेरणा स्वरूप इस तक्नीकी को अपनाया है.  वे सुझाते हैं कि विकासखंड स्तर पर प्याज़ के भंडारण की सुविधा होने पर प्याज़ की खेती से मुनाफा और अधिक बढ़ सकता है.
वे इस तकनीकी मार्गदर्शन के लिए केन्द्र के वैज्ञानिकों को ध्न्यवाद देते हैं तथा केन्द्र से सतत् जुड़े रहने का संकल्प लेते हैं.